आखिर रोने पर क्यों आते हैं, आंसू क्या रोने का भी कोई फायदा होता है?

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By gyanjunction.com

Rone par Aansu Kyo Aate h : अक्सर आपने देखा होगा कि जब भी कोई रोता है तो उसकी आंखों से आंसू आने लगते हैं. क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर रोते समय आंखों में आंसू क्यों आते हैं? आंसू आने का वास्तविक कारण क्या होता है? आखिर भावनाओं और आंसूओं के बीच क्या कनेक्शन होता है. वास्तव में आंखों से आंसू आने के पीछे भी विज्ञान होता है. आइए जानते हैं रोने पर आने वाले आंसूओं के पीछे क्या विज्ञान है और ऐसा किस वजह से होता है.

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इंसान के रोने के पीछे पूरी तरह से विज्ञान काम करता है। आपको बता दें कि इंसानों के आंखों से आंसू किसी दुख, परेशानी या बेहद खुशी के मौके पर ही नहीं आते हैं, बल्कि ये किसी खास गंध या चेहरे पर तेज हवा के लगने के वजह से भी आते हैं। वहीं प्याज काटने पर आंसुओं का निकलना आम बात है। आज हम आपको बताएंगे कि हमारे आंखों से आंसू क्यों और कैसे आते हैं?

आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने आंसुओं को मुख्य रूप से तीन श्रेणी में बांटा है। आंसुओं की पहली श्रेणी है बेसल। ये नॉन-इमोशनल आंसू होते हैं, जो आंखों को सूखा होने से बचाते हुए स्वस्थ रखते हैं। दूसरी श्रेणी में भी नॉन-इमोशनल आंसू ही आते हैं। ये आंसू किसी खास गंध पर प्रतिक्रिया से आते हैं, जैसे प्याज काटने या फिनाइल जैसी तेज गंध पर आने वाले आंसू।

आंसुओं के प्रकार

आंसू भी तीन तरह के होते हैं. पहले आंसू वो होते हैं,जो एलर्जी, इंफेक्शन या फिर आंखों में कोई दिक्कत होने पर आते हैं. इन इंफेक्शन आंखों को वॉटरी आइज कहते हैं और ये आंसू आंखों में कोई ना कोई दिक्कत होने पर आते हैं, ये नॉन-इमोशनल आंसू होते हैं. दूसरी श्रेणी में भी नॉन-इमोशनल आंसू ही आते हैं,

दूसरे आंसू वो होते हैं, जो तेज हवा या मौसम आदि की वजह से आंख में आते हैं. लेकिन एक तीसरे तरह के आंसू होते हैं, जिनका कारण हमारे रोने या भावनाओं से जुड़ा होता है. इसे क्राइंग आंसू कहते हैं। क्राइंग आंसू भावनात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर आते हैं। यह हिस्सा नर्वस सिस्टम से सीधे संपर्क में रहता है।

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रोने पर क्यों आते हैं आंसू

जब भी हम किसी भावना के एक्स्ट्रीम पर पहुंचते हैं तो आंखों में आंसू छलकने लगते हैं. इसका कारण ये है कि जब भी कोई इमोशनल होता है या फिर किसी भी भावना के एक्स्ट्रीम पर होता है तो शरीर में कई तरह की प्रतिक्रिताएं होती हैं. यह दुख या खुशी, किसी भी समय हो सकता है. ज्यादा खुशी में भी आंखों से आंसू आ जाते हैं. इसके अलावा तेज गुस्से में या बहुत अधिक डर जाने के समय भी रोने लगता है। 

आखिर हम क्यों रोते हैं?

इंसान का रोना नॉन-वर्बल संवाद का एक तरीका है। आंसुओं के जरिए इंसान ये बताता है कि हमें मदद की जरूरत है। बता दें कि मनोवैज्ञानिक इस बात पर लगातार जोर देते हैं कि भावनाओं के उबाल में रोना अच्छा होता है। इससे आंखें ही नहीं, बल्कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। Rone par Aansu Kyo Aate h

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भावनाओं के एक्सट्रीम पर पहुंचने पर शरीर में कई तरह के हॉर्मोनल चेंज भी होते हैं, इसमें एड्रनीलिन लेवल में बदलाव आदि शामिल है. इन हार्मोन्स में होने वाले बदलाव का सीधा असर आंखों पर होता है. इस वजह से आंखों में पानी आने लगता है.

आंसुओं की तीसरी श्रेणी, यानी क्राइंग आंसू भावनात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर आते हैं. दरअसल, हमारे मस्तिष्क में एक लिंबिक सिस्टम होता है. इसी में ब्रेन का हाइपोथैलेमस होता है, जो नर्वस सिस्टम से सीधे संपर्क में रहता है. इसी सिस्टम का न्यूरोट्रांसमीटर संकेत देता है और किसी भावना के एक्सट्रीम पर हम रो देते हैं.

नॉन-वर्बल संवाद का सबसे सही उदाहरण नवजात बच्चे होते हैं। बच्चे जब भाषा नहीं जानते हैं, तो रोने के माध्यम से नॉन-वर्बल संवाद करते हैं और अपनी जरूरतों को बताते हैं। Rone par Aansu Kyo Aate h

रोने से होता है लाभ

भले ही आपको ये जानकार हैरानी हो, लेकिन किसी इमोशन के अधिक होने पर अगर आप रो देते हैं तो यह आपके शरीर के लिए अच्छा होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि रोने से ना सिर्फ आखों का स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. Rone par Aansu Kyo Aate h.

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